केंद्र सरकार ने जमाखोरी के खिलाफ उठाया सख्त कदम

0

दालों की बढ़ती कीमतों को थामने और जमाखोरी पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार ने संग्रहण की अधिकतम सीमा (स्टॉक लिमिट) निर्धारित कर दी है। सरकार का यह निर्णय मिल मालिक, दाल के थोक, खुदरा एवं बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं के साथ आयातकों पर तत्काल प्रभाव से लागू होगा और 30 सितंबर तक प्रभावी रहेगा। फिलहाल इसके दायरे में अरहर, चना एवं काबुली चना को लाया गया है। पिछले करीब एक महीने से अरहर एवं चना दाल के मूल्यों में वृद्धि देखी जा रही है। सरकार इसके पीछे अनुचित जमाखोरी एवं सट्टेबाजी मान रही है।सरकार के फैसले के मुताबिक थोक विक्रेता अधिकतम दो सौ टन दाल का संग्रहण कर पाएंगे, जबकि खुदरा विक्रेताओं के लिए यह मात्रा पांच टन होगी। बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेता अपनी प्रत्येक दुकानों पर ज्यादा से ज्यादा पांच टन और डिपो पर दो सौ टन दाल रख सकते हैं। मिल मालिकों की संग्रहण सीमा भी तय कर दी गई है। अब पिछले तीन महीने के दाल उत्पादन या वार्षिक क्षमता का 25 प्रतिशत, जो भी ज्यादा हो, का स्टॉक कर पाएंगे।आयातकों की मनमानी को भी सरकार ने सीमा में बांधा है। अब वे सीमा शुल्क की निकासी की तारीख से 45 दिनों से ज्यादा आयातित स्टॉक को नहीं रख पाएंगे। संबंधित सभी संस्थाओं को उपभोक्ता मामले विभाग के पोर्टल पर स्टॉक की स्थिति की जानकारी देनी होगी। यदि निर्धारित सीमा से ज्यादा का स्टॉक है तो 12 जुलाई तक निपटाना होगा। अरहर एवं चना पर स्टॉक सीमा लगाकर सरकार ने आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने का प्रयास किया है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.