अधिकारी के सामने बेगुनाही साबित करनी होगी, सुप्रीम कोर्ट ने बिहार पुलिस की क्यों लगा दी क्लास…
बिहार पुलिस की तरफ से दाखिल एक हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आपत्ति दर्ज कराई गई है।
गुरुवार को शीर्ष न्यायालय एक आरोपी की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें पटना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।
खबर है कि पुलिस ने आरोपी को पूछताछ के दौरान अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए कहा था।
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां अपील पर सुनवाई कर रही थी। बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट का कहना था कि इस तरह के दृष्टिकोण को सहन नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि पुलिस को अपीलकर्ता मोहम्मद तौहीद उर्फ कल्लू की कस्टडी पूछताछ के लिए नहीं, बल्कि किसी अन्य कारण के लिए चाहिए थी…।’
कोर्ट ने आगे कहा, ‘जवाबी हलफनामे के पैराग्राफ 9 में पुलिस का दृष्टिकोण हैरान करने वाला है। ऐसा लग रहा है कि पुलिस अधिकारी को यह लगता है कि आरोपी को उनके सामने जाकर अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी।’
दरअसल, पटना हाईकोर्ट की तरफ से अक्टूबर 2023 में आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
6 दिसंबर को कोर्ट की तरफ से अपील पर नोटिस जारी किया गया था और गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दे दी थी। इसके बाद बिहार पुलिस की तरफ से हलफनामा दाखिल किया गया था, जिसमें कहा गया था कि आरोपी को कस्टडी में ही रहना चाहिए।
रिपोर्ट के मुताबिक, हलफनामे में कहा गया था कि आरोपी ने ‘पूछताछ के दौरान खुद को बेगुनाह बताया था, लेकिन दावे के समर्थन में कोई सामग्री पेश नहीं की थी।’
सुनवाई के दौरान अदालत बिहार पुलिस की तरफ से दाखिल किए गए हलफनामे पर सहमत नहीं हुई। कोर्ट ने आरोपी की अंतरिम जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया।